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सच दिखता है

पुराना वर्ष दरिया में वह कर दूर हो गया चलो मिलकर मनाएं जश्न की नये साल में हम हैं

जिला व्यूरो कमल राव चव्हाण:-

नर्मदापुरम। नव संवतसर, गुडी पडवा के पावन अवसर पर विगत 20 वर्षो की भांति इस वर्ष भी साहित्यक आयोजन की श्रंखला मे नर्मदा आव्हान सेवा समिति व्दारा अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन को सेठानी घाट पर किया।

इसमे जबलपुर की कवियत्री डाँ. प्रतिभा पटैल ने अपनी कविता मे कहा “नये हैं गीत होठों पर, नये सुर ताल में हम हैं मेरे भगवन तुम्हें पूंजू ,तेरे ख्याल में है।
पुराना वर्ष दरिया में वह कर दूर हो गया चलो मिलकर मनाएं जश्न की नये साल में हम हैं’’ खूब सराही गई। कवि सम्मेलन मे कवियो ने रात्री के साढे तीन बजे तक गीत, गजल,हास्य व्यंग्य,ओज की रचनाओं से श्रोताओ को भाव विभोर किया।
कवि सम्मेलन में 11 कवियों ने कविता पाठ किया राजस्थान से आये वरिष्ठ हास्य कवि सुरेंद्र यादवेंद्र बाँरा कोटा ने कहा “पाकिस्तानी सरहद पर सिर्फ किराए के हथियार लड़ते हैं हमारी सीमा पर संस्कृति लड़ती है संस्कार लड़ते हैं।’’ सहित अन्य रचनाओ पर हंसा हसाकर लोटपोट कर दिया। उत्तरप्रदेश से ओज कवि मनोज चौहान ने अपनी कविता पर श्रोताओ को खूब ताली बटोरी एंव वंदेमातरम ओर भारत मात की जय घोष हुआ। राजस्थान से आये हास्य कवि राजेश लोटपोट ने “कहा जिंदगी निकाल देती है दिन दिहाड़ी, कभी खेत, कभी मेड़.कभी पहाड़ी में ,बच्चे भूखे ना सो जाएं इसलिए एक माँ पूरा साल निकाल देती है एक साड़ी में। ”
पर वाहवाही लूटी। उत्तर प्रदेश से आये हास्य कवि कवि मनोज चौहान ने कहा उठी अब तक नहीं है जो किसी दरबान की खातिर।
इबादत में सदा उठती रही ईमान की खातिर ।
मेरे मालिक ,मेरे दाता मुझे इतना हुनुर देदे,
कलम जब भी उठे तो हिंद के सम्मान की खातिर ।
अपनी रचनाओं से भाव विभोर किया।भुवन सिंह धांसू ने कहा खेलिए ना जुआँ, पत्ता ,सट्टा व पाँसे का खेल,
खेल में जवानी को तवाह मत कीजिए।कीजिए संकल्प चरस और अफीम छोड़ने का,झोली में फैलाएं मांगता हूं दान दीजिए बहुत सराही गई।
एवं भोपाल के कुमार नितेश नैश भोपाल ने कहा – धूप, धनक ,गुल तितली,बिजली,फूलो में आ जाता है,
उसका इक इक रंग सिमटकर नरवरों में आ जाता है
तब भी तेरे पाँव में झुककर मै पायल पहना दूंगा
जबकि दिल का दर्द अमूमन घुटनो में आ जाता है”
हरदा से आये प्रसिद्ध युवा गजलकार जय कृष्ण चांडक हरदा ने कहा “मैं हकीकत को खट्टाकुंगा दोनों तरफ
अपनी नियत को रखूंगा दोनों तरफ
आप नफरत रखो एक पलड़े में पर
मैं मोहब्बत को र
रक्खूँगा दोनों तरफ” प्रस्तुति पर खूब वाहवाही लूटी।मुलताई के युवा हास्य कवि दीपक साहू सरस मुलताई ने कहा जो “है तुम्हारा वो हमारा हाल कर दिया होता।
नहीं था जवाब तो सवाल कर दिया होता।
जाने किस-किस से बात करती हो फोन पर
हमारी तसल्ली को मिस कॉल कर दिया होता” श्रोताओं को हंसने पर मजबूर कर दिया। भोपाल से आई सुनीता पटैल ने में कहा कि “घटे जब प्रेम जीवन में,कलम श्रृंगार लिखती है मिट जब दाद अपनों की, कलम आभार लिखती है
जो मेरे देश का सम्मान खतरे में नजर आए
बन के तलवार दुर्गा सी, कलम अंगार लिखती है” ने भाव विभोर किया। नागपुर के युवा ओज कवि विनोद विद्रोही ने
” कहा गर हम भी डूब गए प्रेम श्रृंगारों में तो कौन करेगा धार तलवारो में कलम जो बेच आए दरबारों में तो फर्क क्या रहेगा हममे ओर गद्दारो में” बहुत गुदगुदाया ओर ताली बटोरी।
अंत में मंच मे कवि सम्मेलन का संचालन कर रहे कौशल सक्सेना ने अपने चिर परिचित अंदाज में वीर रस की कविताओं से राष्ट्रभक्ति का अलख जगाया।
इस अवसर पर आयोजक केप्टन करैया,हंस राय,बलराम शर्मा, श्रीमती आरती शर्मा,रामू यादव, रामेश्वर पटेल, सुभाष यादव,कमलेश चौधरी, हरिओम दीक्षित, राजेश परसाई, राजीव पाठक, रामेश्वर यादव,सावन कुमार, मनोहर सराठे, उमाशंकर व्यास,शिवा यादव,आर्दश करैया ने आमंत्रित कवियों का स्वागत किया। स्वागत भाषण प्रस्तवना केप्टिन करैया ने किया। संचालन बलराम शर्मा ने तथा आभार प्रदर्शन सुभाष यादव ने किया।
हजारों की संख्या मे श्रोता उपस्थित थे।

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