अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती का नर्मदापुरम जिले में हुआ भव्य आयोजन, संत समाज ने गीता के दर्शन एवं चिंतन को अपने जीवन में अंगीकार करने का किया आव्हान
नर्मदापुरम । एसएनजी स्कूल का प्रांगण सोमवार को ऐतिहासिक भव्य एवं दिव्य घटना का साक्षी बना। जब यहां पर अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव कार्यक्रम के अंतर्गत संत समाज, नागरिक गण, प्रशासनिक अधिकारी एवं हजारों छात्र-छात्राओ एवं शिक्षक गणों ने सस्वर गीता के 15 वे अध्याय का पाठ किया। ऋषिकेश से पधारे स्वामी ध्रुव चैतन्य सरस्वती, इस्कॉन मंदिर के अध्यक्ष श्री प्रणव दास, आचार्य सोमेश परसाई, श्री ब्रह्मा देव शास्त्री की उपस्थिति में आयोजित कार्यक्रम में सेमेरिटर्न स्कूल के विद्यार्थियों ने श्री भगवत गीता के पंचानन पाठ की स्तुति की। सभी मुख्य अतिथियों ने श्रीमद् भगवत गीता एवं भगवान कृष्ण के चित्र पर दीप प्रजवलन कर विधिवत कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
इस अवसर पर गुफा आश्रम की राधा मुनी, पंडित गोपाल प्रसाद खडडर, नर्मदापुरम संभाग कमिश्नर कृष्ण गोपाल तिवारी, कलेक्टर सुश्री सोनिया मीना, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी हिमांशु जैन,संयुक्त आयुक्त विकास जी सी दोहर, नगर पालिका नर्मदापुरम की अध्यक्ष श्रीमती नीतू महेंद्र यादव, जन अभियान परिषद के संभागीय अधिकारी कौषलेश तिवारी, पवन सहगल, स्कूली छात्र-छात्राएं, शिक्षक गण, प्रशासनिक अधिकारी गण एवं प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार गण उपस्थित रहे।
श्रीमद् भगवत गीता की अमर वाणी सत्य से साक्षात्कार कराती है
ग्वालियर जिले से आए गीता प्रेस के आचार्य ब्रह्मदेव शास्त्री ने श्रीमद् भगवत गीता के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि श्रीमद् भगवत गीता के दो श्लोक पढ़ने से मन शांत रहता है। मन यहां वहां नहीं भटकता है। गीता के श्लोक सुनने से मन में स्थिरता आती है। उन्होंने उपस्थित सभी लोगों का आह्वान किया कि वह नित्य गीता का पाठ करें साथ ही अपने नित्य नियम दायित्वों का भी पूर्ण रूप से पालन करें। उन्होंने कहा कि भारतवासी विकास भी करेंगे और अपने इतिहास को आगे भी बढ़ाएंगे। उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य नई पीढ़ी के पास श्रीमद् भगवत गीता को पहुंचाना है ताकि नई पीढ़ी श्रीमद् भगवत गीता की अमरवाणी से साक्षात्कार कर सके। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश शासन एवं विश्व गीता प्रतिष्ठान का यह संयुक्त प्रयास है की गीता घर-घर पहुंचे और इसका सभी लोग अध्ययन करें।
माता-पिता स्वयं गीता का अध्ययन कर उपयोगी सूत्र अपने बच्चों तक पहुंचाएं
ऋषिकेश के सुबोधनंद फाउंडेशन के अध्यक्ष स्वामी ध्रुव चैतन्य सरस्वती ने श्रीमद भागवत गीता की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जिस तरह एक माली अपने उपवन में अलग-अलग तरह के बीज लगाता है। बीज को पौधों में परिवर्तित करता है। कालांतर में वह बीज एक वृक्ष का रूप धारण करता है। बच्चे ऐसे ही एक वृक्ष के समान है। बच्चे यदि गीता की छत्रछाया में बढ़ेंगे तो एक अच्छा मनुष्य बनेंगे। उन्होंने कहा कि आज वर्तमान में आवश्यकता है की माता-पिता स्वयं गीता का अध्ययन करें और गीता के उपयोगी सूत्र अपने बच्चों तक पहुंचाएं। उन्होंने कहा कि आज गीता का पाठ करने वाले सभी बच्चे खुश किस्मत हैं जिन्होंने गीता का पाठ कर अपने को पहचाना है। उन्होंने कहा कि कक्षा दसवीं तक के बच्चे यह निश्चित कर लें की उन्हें भविष्य में क्या बनना है और उस लक्ष्य को लेकर अपने माता-पिता एवं शिक्षक के दिखाएं मार्गदर्शन में आगे बढ़े। उन्होंने कहा कि शिक्षा केवल जीवन यापन के लिए नहीं है अपितु यह मनुष्य को अपने अंदर आत्म साक्षात्कार करने का भी अवसर देती है। उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण एवं मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के जीवन का अध्ययन करें तो यह पता चलता है कि उनमें बड़ों से आशीर्वाद लेने की कला विद्यमान थी। स्वामी ध्रुव चैतन्य सरस्वती ने कहा कि जो बच्चे अपने माता-पिता व गुरु का आदर नहीं करते हैं वह जीवन में सफल नहीं होते हैं। उन्होंने सभी बच्चों से कहा कि वे गीता को अपने हृदय में धारण करें, समाहित करें। गीता को पढ़ते रहे, सुनते रहे एवं उसके दिखाएं मार्ग का अनुसरण करते रहें।
भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र के युद्ध के मैदान में अर्जुन को दिया गीता का उपदेश
आचार्य सोमेश परसाई ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण को लीलाधर कृष्ण एवं भगवान श्री रामचंद्र जी को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा गया है। भगवान श्री कृष्ण मोक्ष काम धार्मिक आर्थिक सूत्र को लेकर आए। कुरुक्षेत्र के युद्ध के मैदान पर तनाव के बीच उन्होंने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया। संयम का उपदेश दिया। आचार्य परसाई ने कहा कि सभी अपने जीवन में गीता का एक श्लोक अपना लें तो जीवन धन्य हो जाएगा। उन्होंने कहा कि पहले के समय श्रीमद् भगवत गीता पर बात करना कठिन था लेकिन आज हम धर्म और गीता की बात करते हैं। उन्होंने सभी बच्चों का आह्वान किया कि वह मन लगाकर विद्या अर्चन करें अपनी विद्या को व्यर्थ ना करें।
संसार के सारे जीव में भगवान का अंश है
इस्कॉन मंदिर के अध्यक्ष श्री प्रणव दास जी ने गीता की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र के युद्ध के मैदान में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया। उन्होंने कहा कि आज गीता को पढ़ना और उसका अनुसरण करना और गीता के ज्ञान को आत्मसार करना आवश्यक है। इस संसार के सारे जीव में भगवान का ही अंश है। भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को अशांत और विचलित न रहने का उपदेश देते हैं यदि आप शांति से अपने लक्ष्य को प्राप्त करना चाहते हैं बिना मन को विचलित किये अपने उद्देश्यों की प्राप्ति करना चाहते हैं तो गीता का अध्ययन अवश्य करें। उन्होंने कहा कि संसार से इस नाशवर शरीर का नाश होता है लेकिन आत्मा अमर रहती है।
नगर पालिका नर्मदापुरम की अध्यक्ष श्रीमती नीतू महेंद्र यादव ने अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव मनाए जाने पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी एवं मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को धन्यवाद ज्ञापित किया।
कार्यक्रम में शासकीय एसएनजी स्कूल, शासकीय कन्या शाला, सेमीरिटस स्कूल, उत्कृष्ट विद्यालय, कन्या शाला जुमेराती, प्रेरणा कान्वेंट, सेंटपाल स्कूल, पं रामलाल शर्मा स्कूल,, सेठ गुरू प्रसाद स्कूल, स्प्रिगडेल स्कूल, कैम्पियन स्कूल, सेंट चार्ल्स स्कूल, एस.पी.एम. स्कूल एवं शांति निकेतन स्कूल की छात्र छात्राओं ने गीता का पाठ किया एवं श्रीमद् भगवत गीता की आरती के पश्चात कार्यक्रम का समापन हुआ। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती चित्रा हरणे ने किया एवं आभार प्रदर्शन जन अभियान परिषद के संभागीय अधिकारी कौशलेश तिवारी ने किया।

