जेल में केदियों को दिया जा रहा रोजगार का प्रशिक्षण, ताकि बाहर निकलकर बनें आत्मनिर्भर: तरसेम सिंह
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जिला व्यूरो कमल राव चव्हाण:-
नर्मदापुरम। प्रदेश में जेलों में बंद कैदियों को सजा के दौरान स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से तरह-तरह के रोजगार प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं, ताकि वे जेल से निकलने के बाद आत्मनिर्भर बनकर बुराईयों से दूर रह सकें। साथ ही बंदियों को जेल में ही स्वरोजगार देने की पहल भी की जा रही है। यह बात राज्य स्तरीय बैकिंग समिति के प्रमुख एवं सेंट्रल बैंक आफ इंडिया के जोनल हेड तरसेम सिंह जीरा ने नर्मदापुरम प्रवास के दौरान कही। उन्होने कहा कि नर्मदापुरम जिले में कलेक्टर सोनिया मीना के मार्गदर्शन में केंद्रीय जेल में महिला बंदियों को भी स्वरोजगार के लिए दिए जा रहे प्रशिक्षण कार्यक्रम में सेंट्रल बैंक वित्तीय सहायता प्रदान कर रहा है। वहीं उन्होने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने सेंट्रल बैंक, लीड बैंक की भूमिका का निर्वहन कर रही है। बैंक, ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि, व्यापार, उद्योग, और अन्य उत्पादक गतिविधियों को बढ़ाने के लिए किसानों को फ़सल ऋण, उपकरण वित्तपोषण, और कार्यशील पूंजी ऋण देते हैं। वहीं ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने और विभिन्न पहलों के माध्यम से वित्तीय समृद्धि लाने के लिए बैंक लगातार काम कर रहे है। इस अवसर पर क्षेत्रीय प्रमुख रजत मिश्रा व रोजगार प्रशिक्षण संस्थान के प्रमुख प्रकाश वासनिक मौजूद रहे। राज्य स्तरीय बैकिंग समिति के प्रमुख एवं सेंट्रल बैंक आफ इंडिया के जोनल हेड तरसेम सिंह जीरा ने कहा कि साइबर व इनवेस्टमेंट फ्राड की वृध्दि होना चिंताजनक है। लेकिन इस जालसाजी में ग्रामीण क्षेत्रों की बजाय शहरी क्षेत्र के लोग ज्यादा शिकार हो रहे हैं। उन्होने कहा कि पढ़े-लिखें युवा युवतियों को साइबर अपराधों के खिलाफ जागरूक होकर मोटे रिटर्न के लालच से बचना चाहिए। उन्होने कहा कि सरकार, पुलिस व साइबर क्राइम एजेंसियां इसमें लगातार काम कर रही हैं। डिजीटल बैंकिंग को सुरक्षित करना हमारी प्राथमिकता है। लेकिन हमें जागरूक होने की ओर अधिक जरूरत है ।साथ ही उन्होने कहा कि उद्योगों को आगे बढ़ाने में बैकिंग सेक्टर का पूरा योगदान है। रीजनल इंडस्ट्री कान्क्लेव विकास के लिए महत्वपूर्ण कदम है। इससे बैंकिंग सेक्टर मजबूत होगा। उद्योग व्यापार और निवेश गतिविधियों के प्रोत्साहन में बैकिंग सेक्टर की हर संभव कोशिश होगी। एमएसएमई देश की रीढ़ है। भारत का बैंकिंग क्षेत्र पर्याप्त रूप से पूंजीकृत और अच्छी तरह से विनियमित है। बैंकिंग क्षेत्र सुधारों के योजनाओं ने भारत के वित्तीय समावेशन को काफी हद तक बढ़ाया है और देश में ऋण चक्र को बढ़ावा देने में मदद की है।