कार्तिक पूर्णिमा पर मां नर्मदा के तट पर रहा मिनी कुंभ सा नजारा

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जिला व्यूरो कमल राव चव्हाण:-

नर्मदापुरम। मां नर्मदा के पावन तट पर कार्तिक पूर्णिमा के शुभअवसर पर मिनी कुंभ सा नजारा रहा। क्षेत्र के सबसे बड़े धार्मिक व तीर्थ स्थान नर्मदा और तवा के संगम स्थल बांद्राभान में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई। इसी के साथ मुख्यालय के खर्राघाट, सेठानी घाट से लेकर बांद्राभान घाट तक करीब 03लाख श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाकर पुण्य लाभ लिया। बांद्राभान संगम स्थल पर ही दो दिन में करीब तीन लाख श्रद्धालुओं ने स्नान कर पुण्य कमाया। पूर्णिमा के अवसर पर संगम स्थल पर ब्रम्ह मुहुर्त से ही स्नानार्थियों का तांता लग गया था। ऐसा ही कुछ नजारा विश्व प्रसिद्ध सेठानी घाट पर भी रहा। जो कि शाम तक निरंतर जारी रहा। श्रद्धालुओं बीच यह तट अब अब मिनी प्रयाग के रूप में माना जाने लगा है। यहां पर जनपद पंचायत और ग्राम पंचायत रायपुर के द्वारा कार्तिक मेला का आयोजन बीते 197 वर्षों से जारी है। मुख्य मेला आज कार्तिक पूर्णिमा अवसर पर रहता है। इस माैके पर महाराष्ट्र, उप्रख् मप्र सहित यहां विभिन्न प्रांतों के साथ ही प्रदेश के तमाम जिलों के लाखों श्रद्धालुओं ने आकर धर्म लाभ लिया। एक दिन पूर्व से ही यहां पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच चुके थे। अनेक समाज के लाेगों ने अपने विवाह योग्य युवक युवतियों के रिश्ते पक्के किए।

जरूरत की सामग्री हुई खरीददारी

बांद्राभान मेला में करीब तीन हजार से अधिक दुकाने रेतीले मैदान में लगी हुई हैं, पूर्णिमा को जमकर खरीददारी हुई। यहां पर ग्रामीण क्षेत्र के लाेगों के उपयोग की सामग्री ही ज्यादा आई हुई थी। जिसमें खेती किसानी के औजार और घरेलू उपयोग की सामग्री रखी हुई थी। जिनके प्रति ग्रामीण जन काफी आकर्षित हो रहे थे। अपने पशुओं के श्रंगार की सामग्री भी खरीदी जा रही थी।

दाल-बाटी चूरमा का लगाया भोग

इस मेला का मुख्य आकर्षण यहां पर रेतीले मैदान में आस पास क्षेत्र के कई गांवों से लोग मेला स्थल पर बीते दो दिनों से अपनी ट्रैक्टर ट्राली और चार पहिया वाहन से आकर तंबू तान चुके थे। रेतीले मैंदान में दाल बाटी चूरमा बनने का अपना एक अलग ही आनंद है। यहां पर भटे की पैदावार अधिक होती है इस कारण बाटी के साथ भटे का भरता बना कर नर्मदा जी को भोग लगा कर दाल बाटी और भरते का आनंद लिया जा रहा था। कई लेाग अपने परिजनों के साथ डेरा लेकर आए हुए हेैं। जो अभी एक दिन और रूकेंगे। इनमें कई भजन मंडलियां भी शामिल हेैं। जिनके द्वारा पूर्णिमा के अवसर पूरी रात भजन गाए जा रहे हैं।

सत्यनारायण की कथा का महत्व

पं विजय परसाई ने बताया कि कार्तिक माह पूरा ही दान पुण्य आ्रैर भजन के लिए विशेष माना गया है। इसी कारण हर माह की तरह कार्तिक पूर्णिमा पर संगम स्थल पर भगवान सत्यनारायण की कथा कराने के लिए भी कई लोग आते हैं। जिसमें मप्र सहित महाराष्ट्र और अनेक स्थानों से भी श्रद्धालु आए हुए हैं।

होती रही रिश्ते की चर्चाएं

यहां पर प्राचीन समय से यह परंपरा रही है कि ग्रामीण जन यहां पर अपने विवाह योग्य युवक युवतियों को लेकर आते हैं। जिसमें एक दूसरे के परिचतों का मिलना जुलना डेरों में हो जाता है। इस मौके पर विवाह योग्य युवक युवतियिों के रिश्ते की चर्चाएं भी की जाती है। बुजुर्ग बताते हैं कि यहां पर होने वाले रिश्ते अटूट रहते हैं। यहां तय किया गया रिश्ता सुख समृिद्ध के साथ समय गुजारता हैं।

मोटर वोट से हुई पेट्रालिंग

मेला स्थल के सामने के घाट पर तथा सेठानी घाट पर होमगार्ड सैनिकों की दो मोटर वोट से पेट्राेंलिंग होती रही। पूरे घाट पर बार बार राउंड लगाकर श्रद्धालुओं की सुरक्षाा के लिए पुलिस और होमगार्ड सैनिक तैनात रहे।

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