आत्मविश्वास, मेहनत और सही मार्गदर्शन आम गृहिणी से लखपति दीदी बनने का सफर ग्राम नागपुरकलां की सुकेशनी पटेल की सफलता की प्रेरणादायक कहानी

जिला व्यूरो कमल राव चव्हाण:-
नर्मदापुरम । मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन अंतर्गत गठित लक्ष्मी आजीविका स्व-सहायता समूह की सदस्य श्रीमती सुकेशनी पटेल ने यह साबित कर दिया है कि आत्मविश्वास, मेहनत और सही मार्गदर्शन के साथ कोई भी महिला आत्मनिर्भर बन सकती है। पारंपरिक मजदूरी से जीवन यापन कर रहीं सुकेशनी आज एक सफल उद्यमी और “लखपति दीदी” के रूप में ग्राम की प्रेरणा स्रोत बन चुकी हैं।
संघर्ष से शुरुआत
सुकेशनी पटेल अपने पति विकास पटेल के साथ खेती और मजदूरी के जरिए अपने परिवार का भरण-पोषण कर रही थीं। परिवार की कुल मासिक आय महज 7 से 8 हजार रुपये थी, जिससे जीवनयापन अत्यंत कठिन था। उस समय उनके पास कोई स्थायी आय का स्रोत नहीं था। वर्ष 2018 में जब ग्राम नागपुरकलां में राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत स्व-सहायता समूहों का गठन हो रहा था, तब सुकेशनी दीदी ने अन्य महिलाओं के साथ मिलकर लक्ष्मी आजीविका स्व-सहायता समूह से जुड़ने का निर्णय लिया।
समूह से जुड़कर बदली किस्मत
समूह से जुड़ने के बाद सुकेशनी ने आधुनिक कृषि, सब्जी उत्पादन और पशुपालन की तकनीकों के बारे में प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसके बाद उन्होंने कृषि के साथ-साथ गैर-कृषि गतिविधियों की ओर भी कदम बढ़ाया। सीएलएफ (CLF) के माध्यम से 3.5 लाख रुपये का ऋण लेकर उन्होंने आटा चक्की और कपड़े की दुकान शुरू की। आज वे आटा चक्की से प्रति माह 10,000 रुपये और कपड़े की दुकान से 12,000 रुपये मासिक आय अर्जित कर रही हैं। इसके अलावा वे मध्यप्रदेश शासन की लाड़ली बहना योजना का लाभ भी प्राप्त कर रही हैं।
लखपति दीदी बनीं प्रेरणा
आज श्रीमती सुकेशनी न केवल आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हैं, बल्कि वे ग्राम की अन्य महिलाओं को भी लखपति बनने के लिए प्रेरित कर रही हैं। समूह से जुड़ने से उनका आत्मविश्वास कई गुना बढ़ा है। वे अपने जीवन में आए इस परिवर्तन का श्रेय स्व-सहायता समूह, सीएलएफ और आजीविका मिशन को देती हैं।
सुकेशनी पटेल की कहानी ग्रामीण महिलाओं के लिए एक जीवंत उदाहरण है कि यदि सही दिशा और समर्थन मिले, तो महिलाएं भी आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकती हैं और अपने परिवार व समाज को सशक्त बना सकती हैं। उनकी यह यात्रा ग्रामीण विकास और महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक प्रेरणादायक उदाहरण है।