सनातन वैदिक धर्म व संस्कृति के पुनरुद्धारक आदि गुरु शंकराचार्य जी- स्वामी निर्मल चैतन्यपूरी

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आनंद कुमार नामदेव
आदि गुरू शंकराचार्य जी की जयंती वैशाख मास में एकात्म पर्व के रुप मनाई गई। म.प्र. जन अभियान परिषद विकासखण्ड नर्मदापुरम द्वारा पीएम श्री नर्मदा महाविद्यालय, नर्मदापुरम द्वारा यह आयोजन किया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ वीतराग शिरोमणि परमपूज्यपाद स्वामी निर्मल चैतन्यपुरी जी महाराज, साध्वी राधा मुनि, नर्मदापुर कथा व्यास मंच अध्यक्ष आचार्य नीरजेश त्रिपाठी, हंस राय, एवं संभाग समन्वयक श्री कौशलेश प्रताप तिवारी एवं ब्लॉक समन्वयक विवेक मालवीय द्वारा भगवान आदि गुरू शंकराचार्य जी के चित्र पर माल्यार्पण व पूजन अर्चन कर शुभारंभ किया। पूजन अर्चन पश्चात अतिथियों का स्वागत पुष्प मालाओं से किया गया, तत्पश्चात ब्लॉक समन्वयक विवेक द्वारा स्वागत उद्वोधन दिया गया। मुख्य वक्ता स्वामी निर्मल चैतन्यपूरी जी ने आचार्य शंकर के अद्वैत मत के संदर्भ में आचार्य शंकर के जीवन वृत्त एवं वर्तमान जीवन में सनातन धर्म को अपनाने कर अपनी संस्कृति सभ्यता को विश्व में प्रथम स्थान पर रख जीवन को सफल बनाने कें लिए मार्गदर्शन दिया, आदि गुरु शंकराचार्य जी ने सनातन परंपरा को एक सूत्र से जोड़कर रखने के लिए देश के चार धामों में मठों की स्थापना की,उपनिषदों, भगवद गीता और ब्रह्मसूत्रों के प्राथमिक सिद्धांतों जैसे हिंदू धर्मग्रंथों की व्याख्या की हिंदू धर्म के प्रचार-प्रसार में सबसे बड़ी भूमिका आदि शंकारचार्य जी की मानी जाती है। आदि गुरु शंकराचार्य ने अद्वैत वेदांत के दर्शन का विस्तार किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे श्री निर्जेश त्रिपाठी जी ने कहा कि महज 8 साल की उम्र में इन्हें वेदों का ज्ञान प्राप्त हो गया था। गुरु शंकराचार्य भारतीय गुरु और दार्शनिक थे, उनका जन्म केरल के कालपी नामक स्थान पर हुआ था। आद्य शंकराचार्य के लिए एक को भगवान शिव अवतार के रूप मे माना जाता है। विशिष्ट अतिथि नर्मदापुरम संभाग समन्वयक श्री कौशलेश तिवारी ने कार्यक्रम की रूपरेखा एवं उदेश्य को बताया हुए कहा की समाज में व्याप्त विभिन्न धार्मिक विरोधाभास,भ्रम व चुनौतियों को ध्वस्त कर आदि शंकराचार्य जी ने अद्वैत वेदांत के सिद्धान्त से सम्पूर्ण मानवजाति के कल्याणका मार्ग दिखाया, अल्पायु में ही अपने ज्ञान व दर्शन से वैदिक संस्कृति को अक्षुण्ण रखने के लिए आदि शंकराचार्य जी ने पूरे भारत में अपने पुरुषार्थ से जन- जन में अध्यात्म व सांस्कृतिक चेतना को जागृत किया व चार दिशाओं में चार मठ स्थापित कर भारत को आध्यात्मिक एकता के सूत्र में बांधने का भगीरथ कार्य किया आयोजन में आयोजन में मुख्य रूप हंस राय, जिला समन्वयक पवन सहगल, आनंद नामदेव, अमित नामदेव, आलोक शर्मा, ओम प्रकाश गौर, राजेश गौर, अरुण राणा, नीरज चतुर्वेदी, श्रीमती नेहा तिवारी, नरेन्द्र पटेल, प्रवीण गौर, टीकाराम, ओम प्रकाश गौर, मनोज गौर, राजेश भट्ट, अभिलाषा जी, साहिल तिलोटिया, संजय सराठे, राजेंद्र कुशवाह, शंकु साहू, चेतना तिवारी, सीता शरण शर्मा, सुनील, मालती, जयबाला निगम, सोना रैकवार, आशा मनसीरिया, कपिल गौर, बड़ी सांख्य में जनप्रतिनिधि, सीएमसीएलडीपी छात्र छात्राओ ने सहभगिता कर कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना योगदान दिया। अंत में सभी को एकात्मता का संकल्प दिलाया गया किया गया। कार्यक्रम का संचालन आनंद नामदेव एवं आभार ब्लॉक समन्वयक विवेक मालवीय द्वारा व्यक्त किया गया।