किसान भाई परिश्रम की मूर्ति हैं – कलेक्टर सुश्री सोनिया मीना

नर्मदापुरम । राष्ट्रीय तिलहन मिशन योजना अंतर्गत कार्यशाला एवं नरवाई प्रबंधन कार्यक्रम का आयोजन 04 अप्रैल 2025 को ग्राम जमानी विकासखण्ड केसला में किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग द्वारा कलेक्टर जिला नर्मदापुरम सुश्री सोनिया मीना के मुख्य आतिथ्य में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में एस.डी.एम इटारसी श्री टी.प्रतीक राव, उपसंचालक कृषि श्री जे. आर. हेड़ाऊ, विधायक प्रतिनिधी श्री ब्रजकिषोर पटेल,  उपसंचालक उद्यानिकी श्रीमति रीता उईके, सहायक कृषि यंत्री श्री चंदनसिंह बरकड़े, जिला पंचायत सदस्य श्रीमति ज्योतसना पटेल, जनपद पंचायत उपाध्यक्ष श्रीमति अर्चना मेहतो, श्रीमति कलाबाई कुमरे संरपंच ग्राम पंचायत जमानी, सुखराम कुमरे जनपद सदस्य ग्राम जमानी , कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर विनोद बेड़ा, कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर के.के. मिश्रा कृषि महाविद्यालय पवारखेड़ा, सहायक संचालक कृषि श्री राजीव यादव, श्री चेतन मातिखाये सहित प्रगतिषील किसान श्री हेमंत दुबे ग्राम जमानी, श्री रूपसिंह राजपूत ग्राम रोहना, श्री राकेश गौर ग्राम धरमकुण्डी, श्रीमति शिवलता मेहता, श्री साहबलाल मेहता ग्राम पथरोटा, कृषि विभाग के समस्त शासकीय सेवक एवं जिला नर्मदापुरम के विभिन्न विकासखंडों से आए हुए किसान बंधु उपस्थित रहे।

कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा मुख्य अतिथि कलेक्टर सुश्री सोनिया मीना एवं मंचाआसीन जनप्रतिनिधिगणों का स्वागत किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि कलेक्टर नर्मदापुरम सुश्री सोनिया मीना द्वारा उपस्थित किसानों को संबोंधित करते हुए बताया कि हमारा गांव व भूमि हमारा दायित्व है। उन्होंने बताया कि जिला नर्मदापुरम की पहचान जंगलों, पहाड़ों, प्राकृतिक सौंदर्य, माँ नर्मदा नदी का प्रवाह, कृषि अग्रणी जिला व उत्पादकता के मामले में अग्रसर जिले के रूप में है। अत्यधिक मात्रा में रसायनों का उपयोग करने से फसलों का मूल्य अधिक की बजाय कम प्राप्त हो रहा है साथ ही हमारा क्षेत्र अब पौष्टिक मूंग की जगह जहरीली मूंग के लिए पहचाना जा रहा है। हमारा जिला कैंसर के मामलों में भी अग्रणी होता जा रहा है। हमारा प्रयास आपको सहयोग तथा शासन की योजनाओं का लाभ देने का हैं। उन्होंने कहा कि नरवाई जलाने के कारण हम आज हम मध्यप्रदेश में अग्रणी हो गए हैं, जो एक चिंता का विषय है। इस दिशा में हमें विचार करने की आवश्यकता है कि कैसे हम इसे बेहतर कर सकते हैं ताकि नरवाई प्रबंधन में भी आगामी दिनों में हम अग्रणी जिले के रूप में पहचान हासिल कर सकें। साथ ही नरवाई जलाने को लेकर उत्पन्न भा्रमिकता से भी कैसे बचें इस ओर भी हमें सोचना होगा। विभागीय व तकनीकी सलाह के साथ एवं कृषक अपने स्वयं के अनुभव को जमीनी स्तर पर क्रियान्वित करें जिसका लाभ वे गुणवत्ता युक्त उत्पादन के रूप में प्राप्त कर सके। जिले के प्रगतिशील कृषकों द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना करते हुए जिले के अन्य कृषकों को भी उनके अनुभवों व तरीकों से प्रेरित होकर सफलता की अग्रसर होने की बात की। उन्होंने किसानों को परिश्रम की मूर्ति के रूप में बताया साथ ही मेहनत व परिश्रम से सकारात्मक परिणाम हासिल करने की बात साझा की। उन्होंने पूसा डि-कम्पोजर का संपूर्ण जिले में विकासखण्ड स्तरीय कृषि विभाग के कार्यालयों में मांग अनुसार उपलब्धता, सुपर सीडर की उपलब्धता हमारे जिले में 60 है उसको कस्टम हायरिंग सेंटर से किराए पर उपलब्ध, हैप्पी सीडर का उपयोग कराने हेतु कृषि एवं कृषि यांत्रिकी के अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे किसानों को संपूर्ण जानकारी समय पर उपलब्ध कराए। उन्होंने संदेश दिया कि जिले को अपने प्राकृतिक सौंदर्य के रूप में जो छवि प्राप्त है, उसको बनाए रखे तथा कृषकगण नरवाई प्रबंधन, जैविक मूंग की खेती कर कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से समाज को बचाए तथा इस ओर सकारात्मक प्रयास एवं महत्वपूर्ण सामाजिक व आर्थिक विषय पर पहल करेंगे ताकि आने वाले भविष्य में बेहतर परिणाम सामने आ सके।

कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा कार्यक्रम का परिचय देते हुए रूपरेखा से अवगत कराते हुए बताया कि इस कार्यशाला एवं कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों को नरवाई प्रबंधन का महत्व व नरवाई में आग लगाने के दुष्परिणामों से अवगत कराना है। किसानों से आग्रह किया गया कि वे नरवाई प्रबंधन की नवीन तकनीकों के लिए उपलब्ध यंत्र जैसे सुपर सीडर, हेप्पी सीडर, बेलर, मल्चर आदि का उपयोग कर नरवाई को जलाने के स्थान पर उसका उचित निपटान करें। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि हम पूरे म.प्र में श्योपुर के बाद नरवाई जलाने के मामले में दूसरे स्थान पर है जोकि अत्यंत गंभीर व चिंता का विषय है, नरवाई में आग लगाने को रोककर, नरवाई का उचित प्रबंधन आवश्यक है।

वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर के.के मिश्रा द्वारा बताया गया कि मध्यप्रदेश में गेहूँ उत्पादन में हमारा जिला नर्मदापुरम अग्रणी स्थान पर है। इस क्षेत्र का किसान बहुत ही प्रगतिशील है, साथ ही इस क्षेत्र में उत्पन्न होने वाले गेहूं के अनुकूल पर्यावरण व परिस्थिति होने के कारण रोग लगने की संभावना कम है तथा गेहूँ की चमक व भराव अन्य क्षेत्र की फसल के तुलना में काफी अधिक होने से निर्यात करने योग्य गेहूं का उत्पादन हमारे जिले में हो रहा है। डॉक्टर मिश्रा द्वारा बताया गया कि पूसा डीकम्पोजर कैप्सूल का प्रयोग कर फसल अवशेष नरवाई को 20-25 दिन में ही अच्छी तरह से उपयोगी खाद में परिवर्तित किया जा सकता है जो कि अत्यंत ही कम लागत वाला और पर्यावरण अनुकूल भी है।

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर विनोद बेड़ा ने नरवाई जलाने के दुष्परिणामों के बारे में बताते हुए कहा कि इससे जमीन की जल धारण क्षमता में कमी आती है साथ ही अंकुरण प्रतिशत पर भी प्रभाव पड़ता है जिसका मुख्य कारण भूमि का कठोर होना सामने आया है जो नरवाई के जलने का परिणाम है। साथ ही कल्ले भी कम फुटते है जिसके किसान भाईयों को नुकसान होता है। उन्होंने नरवाई प्रबंधन को जरूरी बताते हुए जानकारी दी कि अगर नरवाई को जलाने के स्थान पर हमें इसे कम्पोस्ट खाद में बदलने की आवष्यकता है। उन्होंने बताया कि नरवाई जलाने से मेडो में लगे नए फलदार पौधे भी नष्ट हो रहे हैं, जिससे आसपास के क्षेत्रों में पेड़ों की सघनता में कमी आई है। उन्होंने कहा कि नरवाई प्रबंधन कर हमें जमीन को आने वाली नई पीढ़ी के लिए बचाकर रखना है। इससे मृदा की उर्वरा शक्ति में बढ़ोतरी होगी तथा उत्पादकता में भी अंतर आएगा। उन्होंने नरवाई प्रबंधन के लिए पूसा डि-कम्पोजर के साथ ही भौतिक तकनीकों जैसे रोटावेटर यंत्रों के उपयोग के लिए आग्रह किया।

ग्राम जमानी के प्रगतिषील किसान के रूप में श्री हेमंत दुबे ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि वह जैविक खेती को पिछले दस साल से अपनाए हुए हैं, साथ ही अपने गांव के अन्य किसानों को भी इसमें सम्मिलित कर नरवाई न जलाते हुए उसका उचित प्रबंधन किया है जो खेती में उत्पादकता को बढ़ाने में कारगार साबित हुआ है। उन्होंने बताया कि एग्री बेस्ड इंडस्ट्री की छोटी-छोटी षाखाएं स्थापित की जाकर अवशेष प्रबंधन को रोका जा सकता है साथ ही कृषकों को अतिरिक्त आय व उचित रोजगार प्राप्त होगा तथा नरवाई प्रबंधन के छोटे-छोटे कार्यक्रम जिले में सतत् किए जाए ताकि जागरूकता से अधिक से अधिक कृषक समुदाय नरवाई प्रबंध हेतु प्रेरित हो सकते हैं।

अन्य अग्रणी किसान श्री रूपसिंह राजपूत ने बताया कि नरवाई प्रबंधन हेतु जैविक खेती से उत्पादकता को कई गुना बढ़ाया जा सकता है। इस दिशा में वे स्वयं अपने खेतों में इस कार्य को सुचारू रूप से कार्यांवित कर रहे हैं तथा इस कार्य के लिए वे विभिन्न मंचों से पुरूस्कृत भी हुए हैं।

अंत में प्रक्षेत्र पर जाकर श्री हेमंत दुबे जी के नरवाई युक्त खेत में सुपर सीडर से मूंग फसल बोनी करते हुए(जुताई एवं बुवाई एकसाथ) एवं मल्चर से जुताई कर नरवाई प्रबंधन का कलेक्टर महोदया एवं कार्यषाला में उपस्थित कृषकों को जीवंत प्रदर्षन किया गया। इस सुपर सीडर यंत्र से एक घंटे में एक एकड़ क्षेत्र की बोवनी हो जाती है।

कार्यक्रम में क्षेत्र के 100 से अधिक प्रगतिशील कृषक, सहायक संचालक कृषि विकास खण्ड के वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी, कृषि विकास अधिकारी, बी.टी.एम, ए.टी.एम उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन श्री राजेश चौरे जी द्वारा किया गया। अंत में कार्यक्रम का आभार प्रदर्शन उप परियोजना संचालक “आत्मा“ श्री गोविंद मीना द्वारा किया गया एवं कार्यक्रम का समापन हुआ।

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *