त्रीदिवसीय गीता जयंती महोत्सव के प्रथम दिवस कल्याण सेवा आश्रम अमरकंटक से पधारे पूज्य स्वामी योगेश्वर आनंद जी ने तिलक भवन सेठानी घाट पर आयोजित

नर्मदापुरम/कन्हैया लाल वर्मा/त्रीदिवसीय गीता जयंती महोत्सव के प्रथम दिवस कल्याण सेवा आश्रम अमरकंटक से पधारे पूज्य स्वामी योगेश्वर आनंद जी ने तिलक भवन सेठानी घाट पर आयोजित कार्यक्रम में प्रवचन देते हुए कहा कि गीता का गीता का अध्ययन मनन चिंतन वर्तमान समय में एवं इसके अनुसार जीवन चर्चा में एवं इसके अनुसार जीवन चर्चा में वर्तमान युग में अत्यंत आवश्यक है,, सभी मतभेद धर्म एवं धरा के कारण ही होतें हैं ,, कुरुक्षेत्र को आपने कर्म क्षेत्र के रूप में निरूपण कीया ,,चारों पुरुषार्थों में अर्थ काम एवं धर्म को लेकर ही वैमनस्यता होती है ,,परमात्मा के प्रति क्रोध भाव रखने से भी उनकी प्रप्ति हो सकती है यदि व्यक्ति ईश्वर के प्रति एकत्व भाव रखता है ,, शोक मोह संसय से प्रारंभ होकर अर्थात विषाद योग से गीता का प्रारंभ होता है शोक मोह के निवारण के लिए ही अर्जुन भगवान श्रीकृष्ण के समक्ष जिज्ञासा प्रगट करता है ।गीता प्रवर्ती एवं निवर्ती दौनों ही मार्गों के आश्रयदाताओं को मार्गदर्शन देती है । कार्यक्रम के प्रारंभ में आचार्य रोहित तिवारी के मार्गदर्शन में ऋषिकुल संस्कृत विद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा गीता का सस्वर पाठ किया गया , भजनांजलि के अंतर्गत स्थानीय गायक ऋत्विक राजपूत द्वारा भजन की प्रस्तुति की गई आपके साथ हारमोनियम पर राम परसाई एवं तबले पर सक्षम पाठक द्वारा सहयोग किया गया ,, पूज्य स्वामी जी द्वारा भगवान श्रीकृष्ण के चित्र पर माल्यार्पण से कार्यक्रम की शुरुआत की गई ।

प्रथम दिवस का आयोजन श्री राजेन्द्र सराठे एवं श्री महेश जराठे की पुण्य स्मृति में हुआ ,,
कार्यक्रम के शुभारंभ में पूज्य स्वामी जी का पुष्पहार से स्वागत श्रीगीता जयंती महोत्सव के अध्यक्ष पं गिरिजाशंकर शर्मा ,राकेश फौजदार , मनोज जराठे , रामसेवक सराठे , नितिन सराठे , सुनील जराठे , महेश पटेल , राम सेवक शर्मा ने किया । कार्यक्रम का समापन सामूहिक प्रार्थना अब सौंप दिया के द्वारा हुआ

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