सर्वे भवन्तु सुखिन: की प्रार्थना के साथ हुआ गुरुकुल महोत्सव का समापन
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जिला ब्यूरो दीपक यादव : सर्वे भवन्तु सुखिन: की प्रार्थना के साथ हुआ गुरुकुल महोत्सव का समापन
वैदिक विद्वानों व सहयोगियों का किया सम्मान, ब्रम्हचारियों ने किया शक्ति प्रदर्शन और सूर्य नमस्कार
नर्मदापुरम।
देश के प्राचीनतम गुरुकुल के 112 वे महोत्सव का तीन दिवसीय आयोजन का सर्वे भवन्तु सुखिन: की प्रार्थना के साथ समापन हुआ। गुरुकुल के अध्यक्ष स्वामी ऋतस्पति परिब्राजक ने बताया कि तीन दिन तक गुरुकुल महोत्सव जारी रहा। शाम के समय सभी का कल्याण हो, सभी सुखी रहें, सभी निरोगी रहें इस तरह की प्रार्थना के साथ गुरुकुल महोत्सव का आत्मीयता के साथ समापन हुआ। इस मौके पर एक दिन पूर्व से ही वैदिक विद्वानों व गुरुकुल के सहयोगियों का सम्मान प्रारंभ हो गया था। जिसमें डॉ वागीश शर्मा का विशेष सम्मान हुआ। इसी के साथ ही प्रधानचार्य सत्यसिंधु आर्य के पूज्य पिता भैरव सिंह की स्मृति में स्थापित आर्य कार्यकर्ता सम्मान पं भीष्म आर्य का सम्मान, स्वामि ब्रम्हानंद सरस्वती हिसार द्वारा माता तुलसी देवी विद्वत सम्मान से आचार्य रामलाल शास्त्री गोमत अलीगढ़ का सम्मान, स्वामी ऋतस्पति धर्मार्थ न्यास द्वारा वैदिक विद्वत सम्मान आचार्य जीवनवर्धन शास्त्री राजस्थान तथा अन्य अनेक विशिष्ठ सहयोगियों का भी अभिनंदन किया गया। गुरूकुल के ब्रम्हचारियों ने व्यायाम व शक्ति प्रदर्शन किया। अनेक श्रद्धालुओं ने योगदान देकर प्रोत्साहन किया।
यज्ञशाला में छोड़ी गई आहुतियां
गुरूकुल में ब्रम्हमुहुर्त में गुरुकुल महोत्सव में शामिल होने आए सभी अतिथियों व ब्रम्हचारियों के परिजनों के साथ स्थानीय लोगों ने यज्ञशाला में आहुतियां छोड़ी। प्रात:काल की वेला में योग व्यायाम किया। मंचीय कार्यक्रम में हिसार से आए स्वामी ब्रम्हानंद सरस्वती ने तथा अन्य विद्वानों ने व्याख्यान दिए।
गुरूकुल परिवार में विशेष उत्साह
गुरुकुल महोत्सव में गुरुकुल परिवार में विशेष उत्साह रहता है। आचार्य व ब्रम्हचारियों के द्वारा एक माह पूर्व से तैयारी की जाती है। आयोजन में प्रधानाचार्य सत्य सिंधु आर्य, आचार्य धुररन्धर आर्य, योगेंद्र याज्ञिक, रूप सिंह आर्य,पंकज बरगले, सहित अन्य आचार्य व अनेक स्थानों से आए आर्य जन जुटे रहे।
स्वस्तिवाचन से शुरूआत
ब्रम्हमुहुर्त में वेद की ऋचाओं का पाठ ब्रम्हचारियों और आचार्यों के द्वारा स्वस्तिवाचन के साथ किया जाता है। वार्षिकोत्सव में शामिल होने अनेक वैदिक विद्वानों के द्वारा इस तरह के आयोजन की सराहना की गई। वार्षिकोत्सव के अवसर पर गुरूकुल को खूब सजाया गया था।
वेदों का अध्ययन, भजनों की प्रस्तुति नेे मनमोहा
गुरूकुल में चारों वेदों का अध्ययन अध्यापन जारी रहता है। पिछले माहों से जारी अर्थववेद के समापन पर आज पूर्णाहुति होगी। हर दिन स्वतिवाचन, यज्ञ हवन, शांतिपाठ के साथ ही धर्मोपदेश और मानव जीवन में वेदों के महत्व गुरूकुल संस्कृति, संस्कार की महत्ता, ईश्वरोपासना भजन की प्रस्तुति से पूरा गुरुकुल धर्ममय बना रहता है।