देश के प्राचीन गुरूकुल में तीन दिन तक रहेगा वैदिक विद्वानों का जमावड़ा

जिला ब्यूरो दीपक यादव : देश के प्राचीन गुरूकुल में तीन दिन तक रहेगा वैदिक विद्वानों का जमावड़ा
सात प्रांतों के 90 से अधिक ब्रम्हचारी ले रहे वैदिक शिक्षा
गुरूकुल के वार्षिकोत्सव में आ रहे देश के अनेक क्षेत्र के वैदिक विद्वान
योग प्रशिक्षण व अथर्व वेद पारायण महायज्ञ की पूर्णाहुति
नर्मदापुरम।
मां नर्मदा के पावन नर्मदा तट पर स्थित 111 वर्ष प्राचीन गुरूकुल में तीन दिवसीय गुरूकुल महोत्सव का आयोजन 15 दिसंबर से शुरू हो रहा है। अथर्व वेद पारायण महायज्ञ की पूर्णाहुति में देश के विभिन्न प्रांतों से वैदिक विद्वानों का आना शुरू हो गया है। गुरूकुल में वार्षिकोत्सव की भव्य तैयारियां की जा रही हैं। यहां पर ब्रम्हमुहुर्त में चार बजे से वैदिक मंत्रों की ध्वनित होने लगती है। गुरूकुल की दिनचर्चा के तहत सुबह पांच बजे से गुरूकुल की यज्ञशाला में वैदिक मंत्रों से हवन के साथ गुरूकुल के वार्षिक उत्सव की शुरूआत होगी। इसके साथ ही नित्य की भांति योग,आसन, व्यायाम होंगे।
गुरूकुल महोत्सव में उप्र, राजस्थान, बिहार, महाराष्ट्र, हरियाणा, गुजरात, और मप्र के अनेक जिलों से शताधिक ब्रम्हचारी वैदिक शिक्षा के साथ-साथ कंप्युटर की आधुनिक शिक्षा भी ग्रहण कर रहे हैं। गुरूकुल उत्सव में प्रथम दिन गुरूकुल में ऊॅं के ध्वजा रोहण के साथ ही महोत्सव शुरू होगा। देश के विभिन्न प्रांतों से वैदिक विद्वानों यहां आकर मंच से जीवन की समस्याओं का समाधान ईश्वरोपासना से कैसे हो‘ पर अपने व्ययाख्यान दिए जाते। इसी के साथ गुरूकुल के निदेशक ऋतस्पति परिब्राजक और गुरूकुल आचार्य योगेंद्र याज्ञिक के द्वारा ईश्वरोपासना पर प्रकाश डाला जाता है। प्रथम दिन शाम के समय गुरूकुल के ब्रम्हचारियों और आचार्यों के द्वारा सतरस्ते से बस्ती में एक विशाल शोभायात्रा निकाली जाएगी। जिसका जहग जगह स्वागत किया जाता है।
लघुभारत का रूप है गुरूकुल
गुरूकुल उत्सव के दौरान गुरूकुल में तीन दिनों तक एक लघुभारत का रूप देखने को मिलता है क्योंकि यहां पर जो ब्रम्हचारी अध्ययन कर रहे हैं। उनके पालक भी इस समारोह में ब़डी संख्या में शामिल होते हैं। जो अलग-अलग प्रांतों के होते हैं। गुरूकुल प्रधानाचार्य स्वामी सत्य सिंधु महाराज ने बताया कि तीन दिन तक सुबह के चार बजे से लेकर रात के 11 बजे तक निरंतर धर्म अध्यात्म से जुडे हुए कार्यक्रम जारी रहेंगे।