Indore Heritage Train: वीकेंड पर हेरिटेज ट्रेन से उठाना चाहते हैं प्राकृतिक नजारों का लुफ्त, तो इन बातों का रखें ध्यान

पातालपानी और कालाकुंड के बीच वादियों के लुफ्त के लिए हेरिटेज ट्रेन फिर शुरू हो गई। अगर आप भी वीकेंड पर प्राकृतिक नाजारों का लुफ्त उठाना चाहते हैं तो आप को कुछ बातों का ध्यान रखना होगा।

Indore Heritage Train: वीकेंड पर हेरिटेज ट्रेन से उठाना चाहते हैं प्राकृतिक नजारों का लुफ्त, तो इन बातों का रखें ध्यान

पातालपानी से कालाकुंड के बीच दौड़ी हेरिटेज ट्रेन

HighLights

  1. पातालपानी से कालाकुंड के लिए फिर शुरू हुई हेरिटेज ट्रेन
  2. वीकेंड पर लोगों ने हेरिटेज ट्रेन से उठाया प्राकृतिक नजारों का लुफ्त
  3. महू की बजाय पातालपानी रेलवे स्टेशन से चली हेरिटेज ट्रेन

इंदौर। बारिश के दिनों में इंदौर का मन जरा बावरा हो जाता है। धरती पर हरियाली छाई नहीं कि लोग खाना-वाना पैक करके घूमने निकल पड़ते हैं। अबकी बार भी अब तक गुजरे बारिश के करीब आधे सीजन में यही हुआ कि लोग शनिवार या संडे की छुट्टी में घरों से निकल पड़े और पिकनिक मनाकर लौटे। इन सबके बावजूद इस बार के आनंद में एक चीज मिसिंग थी… और वह थी हेरिटेज ट्रेन। लोगों की प्रतीक्षा को देखते हुए रेलवे ने शनिवार से फिर इस छुक-छुक को पटरियों पर दौड़ा दिया। 208 दिन बाद पातालपानी से कालाकुंड के बीच चली ट्रेन को जबरदस्त प्रतिसाद मिला। नईदुनिया ने भी इस शानदार सफर को लाइव देखा। आप भी सफर का आनंद उठाना चाहते हैं तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा।

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पातालपानी होते हुए कालाकुंड तक ले जाने और तफरीह करवाकर वापस लौटने वाली यह छुक-छुक हेरिटेज ट्रेन शनिवार को बड़ी इठलाती चाल के साथ चली। रेलवे स्टेशन पहुंचे यात्रियों में इस ट्रेन के सफर को लेकर उत्साह चरम पर था। पहले ही दिन पांचों कोच की सभी 272 सीटें फुल रहीं। ट्रेन चलने से पहले यात्री ट्रेन के साथ फोटो लेते रहे। जैसे ही गाड़ी अपनी पटरियों पर हौले से चली, सबने अपनी सीटें पकड़कर खिड़कियों पर नजरें गड़ा दीं और नजारों का इंतजार करने लगे।

कुछ हुए कन्फ्यूज, तो कुछ ने उठाया भरपूर मजा

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पहले यह ट्रेन महू रेलवे स्टेशन से चलाई जाती थी, लेकिन इस बार यह पातालपानी रेलवे स्टेशन से कालाकुंड के बीच दौड़ी। शनिवार को इसका पहला फेरा रहा। हालांकि इंदौर के कई लोग इस उम्मीद में महू रेलवे स्टेशन पहुंच गए कि ट्रेन यहां से चलेगी, जबकि ट्रेन पातालपानी स्टेशन से चली। इसी तरह कई लोग पातालपानी वाटरफाल पहुंच गए, जबकि वहां ट्रेन कालाकुंड जाते समय ही रुकती है, लौटते समय नहीं। ऐसे में यात्रियों को कुछ गफलत तो हुई, लेकिन जो ट्रेन में बैठ गए, उन्होंने फिर उसका पूरा आनंद लिया। कई लोग पूरे परिवार के साथ पहुंचे, जबकि कुछ तो अपने घर आए मेहमानों को भी इसमें घुमाने ले गए। एसी कोच से लेकर खुली खिड़कियों वाले कोच से लोग प्राकृतिक नजारों का आनंद लेते रहे।

आप जाएं तो इन बातों का रखें ध्यान

  • पहले ट्रेन महू स्टेशन से चलती थी, लेकिन अब यहां से नहीं चलती है इसलिए महू न जाएं।
  • अब ट्रेन पातालपानी रेलवे स्टेशन से चलती है और लौटने पर यहीं आकर रुकती है। अत: पातालपानी रेलवे स्टेशन से ही ट्रेन में बैठें, यहां पार्किंग की भी सुविधा है।
  • पातालपानी झरने के पास ट्रेन केवल जाते समय रुकती है। ऐसे में जो लोग झरना स्थल के पास से ट्रेन में बैठना चाहते हैं, वे पहले से टिकट ले लें और पातालपानी झरना स्थल से बैठ जाएं।
  • ध्यान रखें कि लौटते समय ट्रेन झरना स्थल पर नहीं रुकती है। लौटने में यह सीधे पातालपानी रेलवे स्टेशन आ जाती है, जो झरना स्थल से कुछ दूरी पर है।

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