कहां गए गो रक्षक गली गली भटकने को मजबूर गोवंश

संवाददाता नीतेश कुमार मिश्रा : आखिरकार अब क्यों नहीं आते गौरक्षक सामने जबकि गौमाता दर बदर भटकने को हो रही मजबूर

शोभापुर :- देखा जाए तो अनेकों संगठन हुंकार भरते हैं । परंतु गौ माता का जो आज सबसे बड़ा प्रश्न सामने आ रहा है । क्यों इस प्रश्न के उत्तर नहीं बनते यह अनेकों संगठन ? आज गोवंश की जो स्थिति लगातार सामने आ रही है । किन परिस्थितियों में जीने को मजबूर है गोवंश ? क्यों इन भीषण परिस्थितियों को नहीं देख पा रहे गौ रक्षक । प्रतिदिन बहानो की चपेट में आने से कई गौमाता अपना दम तोड़ देती है । ग्राम के सड़े गले कचरे में अपनी भूख को मिटाने के लिए भोजन को ढूंढती है । क्योंकि खेत खलियान से उन्हें इस तरह भगा दिया जाता है । जैसे वह चारा नहीं आपसे आपकी संपूर्ण संपत्ति मांगने आई है । ग । एक तरफ उसे मां का दर्जा दिया गया है । और दूसरी तरफ दर बदर की ठोकरें खाने को मजबूर किया गया है । अब प्रश्न आता है यह गाय किसानों की है तो हम क्या करें ? बात सही भी है अधिकांश गोवंश किसानों का ही है । परंतु आज की परिस्थिति को देखा जाए तो जो गोवंश सर्वाधिक रास्तों पर भटक रहा है यह किसानों द्वारा छोड़ा गया गोवंश है । किसी भी संगठन या दल या फिर संघ का इस और कोई दायित्व नहीं बनता क्या । सर्वाधिक परेशान एवं दुर्घटना का शिकार होता गोवंश मध्य प्रदेश और अगर कहा जाए तो मध्य प्रदेश के जिला नर्मदापुरम में दिखाई दे रहा है । आखिरकार सरकार यहां पर कोई नियम क्यों नहीं बनाती । सरकार द्वारा गौशालाओं का निर्माण तो जरूर हुआ है । परंतु एक संख्या का रूप दे दिया गया है कि इससे ज्यादा गोवंश एक गौशाला में नहीं रह सकता । जब गौशाला में ही गौ माता के ठहरने की व्यवस्था नहीं तो आखिरकार गोवंश जाएगा कहां ?

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